maha kumbh gatha
अब से आधे एक प्रेमी जानू आप सबको भजन गायक प्रेम प्रकाश दुबे की ओर से जय सियाराम आइए अंबे फिल्म्स के माध्यम से हरिद्वार महाकुंभ की महिमा का गुणगान श्रवण करते हैं हरिद्वार के महाकुंभ कि हो हरिद्वार के महाकुंभ की महिमा तुम्हें सुनाते हैं हरिद्वार के महाकुंभ की महिमा तुम्हेंकहते हैं बड़े भाग्यशाली है वह जो इस धरती पर आते हैं चार मीडियम पर पीपल आते हरिद्वार की पावन धरती हर जीव का मंगल करती थी तब से और सुनाओ कर दो को अच्छी तरह गरम हो थ्री भांग की रहते हो तक छिपकलियां गायब हो देव भूमि की है कि फिर हरिके धाम हरिद्वार यही है इसकी महिमा भारी है देव भूमि का प्रथम क्षेत्रीय इसकीशोभा न्यारी है मां गंगा का बोतल पर पहला पड़ाव है यह हरिद्वार तन धन करने वालों का मांगा करती उद्धारण ओम गगनचुंबी पृथ्वी की प्रतिमा धन का तीर विशाल खड़ी हरिदर्शन का मार्ग दिखाते भक्तों को हरकी पैड़ी निर्मल घाव दिव्यधरा मां गंगा की गतिमान यहां गंगा जल की बूंद बूंद में अमृत है छविमान यहां गंगा आरती करने को हो गंगा आर्थिक करने देखने देवी-देवता अब आते हैं बड़े भाग्यशाली है वे जो इस धरती पर आते हैं ऐड शामिल हैं आरती हरिद्वार की पावन धरती हर जीव का मंगल करती थी अरविंद[संगीत] प्रेमीजनों कर दो कि स्वर्ग अथवा ऋण तत्तुल्यं गंगाद्वार मालूम न शाहजहां तत्रा अभिषेकम कुर्वीत कोटितीर्थ समाहित अ ह हमारे यहां ग्रंथों में कहा गया है हरिद्वार स्वर्ग के द्वार के समान है इसमें संशय नहीं है वहां जो एकाग्र होकर कोटि तीर्थ में स्नान करता है उसे पूंडरी के यज्ञ का फल मिलता है वह अपने कुल का उद्धार करता है वहां एक रात निवास करने से सहस्र गौदान का फल मिलता है भक्तजनों सप्त अंगा त्रिभंगा और शक रावत तीर्थ में विधिपूर्वक देवर्षि पितृतर्पण करने वाला पुण्यलोक में प्रतिष्ठित होता है प्रेमीजनोंतो चलिए हरिद्वार के पड़ोस में ऋषिकेश है दर्शन करके आते हैं ऋषिकेश ख्याल त्रिवेणी घाट पर आयोजित मन करे उसके तीन तप शांत हो परम शांति रसपान करें अति प्राचीन विशाल भरत मंदिर की शोभा कौन कहे राम व राठौर चंद्रेश्वर मंदिर दर्शनीय ही लिए के आखिरी क्लिक कमली वाले कभी यहां बोलबाला दिखता शिवानंद जी का आश्रम उन रहती पर है यही मिलता ज्ञानी गुणी संत साधु सत्संग यह नृत्य करते हैं अपनी भगवत्चर्चा आते श्रद्धालुओं का धोखे करते हैं यहीं से गंगा पार भक्त कह रहे हो यह हिस गंगा पार भक्त कर स्वर्ग आश्रम कोजाते हैं बड़े भाग्यशाली है मैं जो इस धरती पर आते हैं कि हरिद्वार के पावन धरती हरदी वर्कर मंगल धरती से भक्त जनों हरिद्वार कुंभ की कथा भी अ कि हरि अनंत हरि कथा अनंता जैसी भक्तजनों पात मोक्षदायिनी पुरियों में एक मायापुरी जिसे हम हरिद्वार के नाम से जानते हैं यहां पर प्रति बारहवें वर्ष जब सूर्य और चंद्र मेष राशि में और बृहस्पति कुंभ राशि में स्थित होते हैं तब यहां कुंभ का मेला लगता है प्रेमीजनों इस नगर को कई नाम से जानते हैं हरिद्वार गंगा द्वार को शावरमायापुरी कनखल ज्वालापुर और भीमगोड़ा इन पांचों पुत्रों को मिलाकर हरिद्वार कहा जाता है प्रेमीजनों आइए अब आपको उम्र की कथा सुनाते हैं कैसे कुंभ की कथा प्रारंभ हुई को कि कौन से योग बने कुंभ का शुभारंभ करने के लिए श्रवण कीजिए एक बार रॉवत पर चढ़े उम्र भ्रमण को निकले परम तपस्वी ऋषि दुर्वासा कहीं मार्ग में उन्हें मिले हर्ष ने औपचारिकतावश वन महिला इंद्र को भेंट दिया तो कुछ समझ कर इन उस वन महिला का अपमान किया आइस गौतम पहन कारणवश इंद्र के द्वारा एक भयानक दृश्य हुआ था इंद्र के इस व्यवहार से ऋषि दुर्वासा को अतिथि रोशनीहुआ था जिस पद के मद में सुरेश ने ऋषि प्रसाद का त्याग किया उस पद के छिन जाने का देवेश कृष्ण मिश्रा हुआ था कुछ हो भयभीत इंदौर क्या यार हो श्राप शो भयभीत इंद्र क्या करें समझ नहीं पाते हैं बड़े भाग्यशाली है वह जो इस धरती पर आते हैं सामी हैं आरती हरिद्वार की पावन धरती हर जीव का मंगल करती थी दूर [संगीत] भक्तजनों को ऑफिस जाने और अनजाने में भी कभी भी किसी साधु संतों का अपमान नहीं करना चाहिए में दुर्वासा ऋषि की दी हुई माला को दोकि इंद्र ने अहंकारवश त्याग दिया हाथी के मस्तक पर फेंक दिया है [संगीत] कि दुर्वाषा ऋषि क्रोध में आकर के इंद्र को शाप दे दिए इंद्र निर्बल हो गए देवताओं का बल कम हो गया है है और जब यह बात राक्षसों को ज्ञात हुई तो सभी राक्षस देवताओं के विरूद्ध एकत्रित हो गए हैं कि राक्षस को का एकत्रित होना कि देवासुर संग्राम का सूचक साबित हुआ देवासुर संग्राम छिड़ गया आइए आगे की कथा सुनते हैं असुरों को जब ज्ञात हुआ यह श्रापित होकर आए हैं तब एकत्रित हो तुरंत ही अमरावती पर धाय हैं देवों और असुरों में वर्षों तक घोर महासंग्राम हुआ थाअमरावती का तारा यश वैभव असुरों के नाम हुआ था सांवरो सक्रिय हो गया शार्प रिक्त पद से इंदौर विहीन हुए सभी देवता निराधार हो अतिशय खातिर दिन हुए तब तक डेमों नुस्खे लेकर ब्रह्मा जी का आह्वान किया ब्रह्मा नींद से विष्णु शरण में जाने का आदेश दिया तभी देव मिल नारायण को हो सभी देव मिल नारायण को अपनी व्यथा बताते हैं बड़े भाग्यशाली है वह जो इस धरती पर आते हैं हर की पेडी हरिद्वार के पावन धरती हर जीव का मंगल करती थी भक्तजनों भगवान विष्णु औरनारायण करुणा के सागर हैं करुणानिधान है दिनों के दीनानाथ करुणा के सागर हैं अ ओम श्री हरि बोले थे और सुनो सभी देवताओं आप असुरों को मिला करके सागर मंथन करो सागर मंथन करो एक उसमें से कई रत्न निकलेंगे जब अमृत निकलेगा का या तो अमृतपान जब आप सबमिट कर लेंगे तो अमर हो जाएंगे और जब अमर हो जाएंगे तब सभी राक्षस आप सब से पराजित हो जाएंगे और आप उन हल अपनी पूर्व प्रतिष्ठा को प्राप्त कर सकेंगे भक्तजनों आइए सागर मंथन की कथा श्रवण कीजिए जो ख़िरद देवताओं से बोले श्री हरि लक्ष्मी नारायण असुरोंके संग मिलकर देव व हजारों करोड़ सागर मंथन सागर मंथन से निकलेंगे अपनी रत्न और अमृत महानता अमृतपान से हो जाएगा तुम सब देवों का कल्याण को हरियाणा आज्ञा से देवासुर तप करने लगे मनन-चिंतन किस प्रकार कहते साधन से संभव हो सागर मंथन मंदराचल धुंध नागवासुकि डोर बंद दिवस उतरे सागर में सागर का मंथन करने क 56 कार्स जी हो कशप बनकर श्री हरिमंदिर और चल का भार उठाते हैं बड़े भाग्यशाली है वह ज्योतिष धरती पर आते हैं हिसाब सेहेलो फ्रेंड्स पे हरिद्वार की पावन धरती हर जीव का मंगल घर थी अधिकतम कर में भक्तजनों सागर मंथन शुरू हुआ कि प्रथम रत्न के रूप में कालकूट नामक वृक्ष दूसरा रत्न उच्च इस रवा अश्व यानी घोड़ा निकला कि तीसरे रत्न के रूप में हाय रावत हाथ चौथे रत्न के रूप में कौस्तुभमणि सिंधु के गर्व से प्रकट हुए पांचवें रत्न के रूप में कामधेनु राज छठवां कल्पवृक्ष सातवां महालक्ष्मी के रूप में स्वागत कि आठवां रत्न रंभा के रूप में राशि ले प्रकट फूल नवरत्न के रूप में पारिजात वृक्ष समुद्रसे निकले 10वें रथ के रूप में वरुण देव की शक्ति वारुणी 11वें रत्न के रूप में पाञ्चजन्य शंख प्रकट हुए 12वें रत्न के रूप में चीतल सुख चंद्रमा प्रकट होते हैं भक्तजनों धीरे-धीरे कि देवताओं और असुरों का धैर्य टूट रहा था तब तक 13वें रत्न के रूप में आ कि वे प्रधानमंत्री पर कठोर हो कि विधेयक समाप्त होने के कगार पर पहुंचता इसके पहले ही 14 में रत्न के रूप में अमृत कलश सबको दिखाई दिया जब वह में रत्न के रूप में जिव्हे अमृत प्रकट हुआ था उसे देखते ही देवों और असुरों का धीरज टूट गयाअमृत पाने का प्रयास छल-बल से हर कोई करने लगा छीना-झपटी का प्रयास यह पार hal-e-dil अनवरत जलधा तब श्री हरि मोहिनी रूप धारण करते रहता प्रकट हुए उछलते अमृत अपने हाथ लेकर देवों को बांट दिए राहुल नाम के अजय असुर ने हर का यह छल भांप लिया देव पंक्ति में बैठे उसने चुपके से अमृतपान किया वध तो हुआ पर राहु केतु इन थे हो वह तो हुआ पर राहु केतु बनिए ही ग्रहण लगाते हैं बड़े भाग्यशाली है मे जो इस धरती पर आते हैं इस आर्मी भर्ती पर हरिद्वार की पावन धरती हर जीवन का मंगल करती हैंकि प्रेमीजनों सागर मंथन की यह कथा एक संदेश दे रही है है कि यदि छल से कोई राक्षस साधु वेश में आकर के साधुओं की पंक्ति में बैठ जाता है है तो वह संत की प्रसादी तो ग्रहण कर सकता है संत की दृष्टि से तो बच सकता है अरुण की दृष्टि से नहीं बच सकता है कि नारायण की दृष्टि से भला कौन बचेगा कहा गया है कि हम मैं तुम्हें है बेदी यही मैं नर हूं तुम नारायण हो हम्म हैं संसार के हाथों में संसार तुम्हारे हाथ में हैं जिनके हाथ में संसार हैं भला उनकी दृष्टि से राहु कैसे बच सकता था पर कुछ ना कुछ तो वह अपना असर आज भी दिखा देता है चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के रूप मेंभक्तजनों आइए है है कुंभ की कथा को आगे बढ़ाते हैं है और अब वह योग बताते हैं कि कैसे योग बना कहां कहां अमृत की बूंदें गिरी छीना-झपटी में और जिस जिस धरा पर अमृत की बूंदें गिरी वहीं पर महाकुंभ का योग बना छीना-झपटी में कुछ बूंदें अमृत कुंभ से थक गई भारतवर्ष में बूंदे चार स्थानों पर आन पड़ी लिए इन्हीं चार शुभ स्थानों पर कुंभ का मेला लगता है अक्षय पुण्य कमाने को भक्तों का ज्वार उमड़ता है ॐ एक अ तीर्थ प्रयागराज जहां गंगा-यमुना का संगम है एक तीर्थ उज्जैन जहां महाकाल काए मूवी संगम है एक तीर्थ गोदावरी तट पर नासिक मे छविमान हुआ था एक तीर्थ हरकी पैड़ी हर कारणों से महान हुआ 12 वर्ष आप ग्रह गोचर यहां यहां हो कि इस प्रकार सागर मंथन की कथा से हमने कुंभ के योग की तथा आप सब कुछ श्रवण कराया हैतो आइए है मैं हरिद्वार कुंभ का आनंद लेते हैं उत्तराखंड धरती पर स्वर्ग के समान दिव्य अलौकिक छटा छा 84 धाम गंगोत्री यमुनोत्री श्री केदारनाथ शिव बद्रिकाश्रम अ कि यह तो चार धाम हुए उत्तराखंड के अ है इनके अतिरिक्त पूरे उत्तराखंड क्षेत्र को परिक्षेत्र को देवभूमि कहा जाता है गंगा हरिद्वार कुशावर्त बिल व खेड़ी नील पर्वत नाथद्वारा कनखले तीर्थ मेह पूर्ण अर्जुन अर्जुन व्यक्ति प्रेमीजनों गंगा हरिद्वार हरकी पैड़ी जिसे कहते हैं शावरबिल मुक्तेश्वर नील पर्वत तथा कनखल यह पांच प्रधान तीर्थ हरिद्वार में ही इन में स्नान तथा दर्शन से पुनर्जन्म नहीं होता आइए हरिद्वार और उस अजय समीप जो भी तीर्थस्थल हैं उनका संक्षिप्त परिचय के साथ गुणगान करते हैं आप श्रवण कीजिए गंगोत्री यमुनोत्री से हरिद्वार का सीधा बनता है पंचतीर्थ हरिद्वार धाम का गौरव और बढ़ाता है पार्वती माता कमाई का शिवजी की ससुराल यहां कनखल जैसा तीर्थ धरा पर भक्तों होगा और कहां यह जहां नील धारा बहती है और मैहर वाली गंगा का यह पावन कनखल करता है रोगदोस्त छुपा तक भंग का यह जहां तप त्याग न धन शिव को पाने को यह बस मन करता है उस तीरथ में शीश झुकाने को देवी देवता नर नारी यह सब हो देवता नर नारी यह कविता आदर्श झुकाते हैं बड़े भाग्यशाली है ने जो इस धरती पर आते हैं [संगीत] हरिद्वार के पावन धरती हर जी वर्कर मंगल धरती की पावन अति अरबी प्रेमीजनों है वैसे तो हरिद्वार और उसके आसपास समस्त उत्तराखंड देव भूमि है जैसा कि हमने पहले भी कहायहां पर हरिद्वार में बसे देते पौराणिक कुछ तीर्थस्थलों का नाम ले रहा हूं जैसे ब्रह्म कुंड या हरकी पैडी है कि यह वही जगह है जिसे राजा भगीरथ के मृत्यु लोक में गंगा जी को लाने पर राजा श्वेत ने इसी स्थान पर ब्रह्माजी की बड़ी आराधना की उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें वर दिया था कि यह स्थान आपके नाम से प्रसिद्ध हो यानी ब्रह्म कुंड नाम से प्रसिद्ध हो और उसे ब्रह्म कुंड नाम से जाना जाता है गऊघाट ब्रह्म कुंड के दक्षिण में यह घाट है यहां पर स्नान करने से गो हत्या का पाप दूर होता है कुशावर्त घाट गऊघाट से दक्षिण मेंयह घाट है यहां पर 10,000 वर्ष तक एक पैर पर खड़े होकर दत्तात्रेय जी ने तप किया था उनके खुश दिल चीर कमंडल और धन घाट पर आपके श्रवण नाथ जी का मंदिर कुशावर्त के दक्षिण श्रवण नाथ जी का मंदिर है में रामघाट यहां पर बल्लभ संप्रदाय की श्री महाप्रभुजी की बैठक हुई थी भक्तजनों आइए ब्रह्माकुंड को प्रणाम करके हैं राजा श्वेता ने ब्रह्म कुंड पर तरफ इकठ्ठा महान किया ब्रह्मा जी ने हो प्रसन्न उनको तब शुभ वरदान दिया ब्रह्मा विष्णु महेश यहां पर तीनों देव विराज रहे हर की पेडी ब्रह्म कुंड में भाग्य सभी का जगा रहे को हो राजा भर्तृहरि और विक्रमादित्य ने भी तप यहांअखियां मनचाहा वर पाया और फिर परमधाम का लाभ लिया ब्रह्म कुंड हर की पेडी हर की पेडी है नाम लिखे एक हिस्से का दर्शन वंदन मंजन खट्टे बंधन जीवन के तीनों देव यहां भक्तों पर रॉ हो तीनों देव यहां भक्तों पर अपनी कृपा लुटाते हैं बड़े भाग्यशाली है वे जो इस धरती पर आते हैं आरती हरिद्वार के पावन धरती हर जी वर्कर मंगल धरती अरबी भक्तजनों रामघाट विष्णु घाट माया देवी का मंदिर यहीं पर भैरव जी अष्टभुजी और भगवान शिवतथा मस्तक की देवी दुर्गा की मूर्ति गणेश लॉर्ड गणेश जी की एक विशालकाय मूर्ति नारायणी शिला गणेश घाट से थोड़ी दूर ज्वालापुरी की सड़क के किनारे पर यह स्थान नीलधारा नहर के उस पर नील पर्वत के नीचे वाली गंगा की धार को नीलधारा कहते हैं काली मंदिर चंडी देवी के लिए पहाड़ी पर चढ़ने में बीच रास्ते में कामराज का खोल संप्रदाय का काली मंदिर है चंडी देवी जग प्रसिद्ध चंडीमंदिर है अत्यंत ऊंचे शिखर पर मां चंडी विराजमान अंजनी हनुमान जी का मंदिर भी चंडी देवी मंदिर के समीप है गौरी शंकर अंजनी देवी मंदिर के नीचे गौरीशंकर महादेव का मंदिर है जो बिलों के वृक्षोंकी श्रेणी के नाम से प्रसिद्ध है बिल्वकेश्वर कि यह मंदिर स्टेशन से हरकी पैडी के रास्ते में प्रेमीजनों गोमुख का दर्शन करके पुण्य हरिद्वार आते हैं गोमुख मां गंगा का उद्गम एक बार जो दर्शन करे जन्म-जन्म के पाप मिट वह सहज ही भवसागर उतरे गंगा में स्नान ध्यान कर गंगाजल जो ले आए तीन देव की कृपा प्राप्त कर दी1 धनिया बनाया जाए हॉट गंगोत्री में मां गंगा का दिव्य पुरातन मंदिर है आदि शंकराचार्य प्रतिष्ठित मूर्ति सुहावन सुंदर है यही भगीरथ मां यमुना व सरस्वती की प्रतिमाएं शंकराचार्यकी प्रतिमा के दर्शन भक्तों के मन भाए गंगा जी की स्वर्ण मूर्ति पर रॉ हो गंगा जी के स्वर्ण मूर्ति सोने के छत्र सुहाते हैं बड़े भाग्यशाली है रे जो इस धरती पर आते हैं हरिद्वार के पावन धरती हर जी वर्कर मंगल करती हुई 12 में भक्तजनों गोमुख वह स्थान है है जो श्री गंगा मैया का उद्गम स्थल है गंगा जी वही से निकली आइए गंगा जी का जो प्रथम घाट है गंगोत्री उसके आसपास के कुछ सुंदर दृश्यों का वर्णन करते हैंध्यानपूर्वक श्रवण ढूंढ गंगा मंदिर के समीप ही भैरव नाथ का मंदिर है जिसकी छठा सुहावन पावन भव्य-दिव्य ये सुंदर है सूर्यकुंड है ब्रह्म कुंड है विशुद्ध है तीर्थ यहां यही भगिरथ शीला भगीरथ जी ने घोर तप है कि आर्थर को हो बेनिफिशियल आप पर पिंडदान पितरों के हित किया जाता है जिसके नाम से पिंड दान हो आज तक जम्मू पति वह पाता है केदारगंगा का संगम शिवलिंग पर गंगाधार गिरे गौरी कुंड इसे कहते दर्शन से चार पदार्थ मिले देवदारु और चीड़ के बने से हो देवदारु और चीन के बने इस सुंदर और बनाते हैं बड़ेभाग्यशाली है ने जो इस धरती पर आते हैं [संगीत] हरिद्वार के पावन धरती हर जी वर्कर मंगल करती थी भक्तजनों गोमुख से निकलकर गंगा जी झूमती हुई लहराती हुई गंगा सागर में समुद्र में प्रवेश अच्छी तरह गंगा जी के ही मार्ग में ऋषिकेश भी है हरिद्वार भी है शुक्रताल भी है बिठूर भी है इस रंग बेर पूर्वी है प्रयाग भी है विंध्याचल भी है भगवान भोलेनाथ के त्रिशूल पर बसी नगरी काशी जी है काशी के बाद पटना सुल्तानगंज होते हुए बेलूर मठ और तंत्र मार्ग गंगा अपने आपको गंगासागर मेंकपिल मुनि के आश्रम में जहां पर 60 हजार सगर पुत्रों के उद्धार हेतु गंगा जी आई थी राजा भगीरथ के प्रयास से गंगासागर में अपने आप में समाहित करके है तो आइए बहुत जनों गोमुख से नीचे उतरे गंगोत्री पहुंचे पंच प्रयाग का दर्शन करते हुए पुणे एक बार ऋषिकेश का दर्शन करने चलते हैं यही पास में लक्ष्मण झूला लक्ष्मण जी का मंदिर है अन्य कई मंदिरों संग यह क्षेत्र मनोरम सुंदर है यहां पर दान स्थान और उपवास की महिमा भारी है ऋषि-मुनियों की तपस्थली यह धरती सबसे न्यारी है आखिरी श्रवण नाथ जी का मंदिर है कुशावर्त के पास खड़ा पंचमुखी महादेव कापत्थर का विग्रह सिद्ध बड़ा क्राइम घाट और विष्णु घाट है दो हेलो जी के तीर यहां तन मन आत्मा निर्मल करते मां गंगा का पानी और यहां यही गणेश घाट पर प्राणी हो यही गणेश घाट पर प्राणी पाप धुल जाते हैं बड़े भाग्यशाली है वे जो इस धरती पर आते हैं हरिद्वार के पावन धरती हर जी वर्कर मंगल धरती बिन भक्तजनों आइए हरिद्वार में और भी तीर्थ हैं जिनका वर्णन हम लोग सुनते हैं गायन के माध्यम से अकि माया देवी घाट यहीं पर यहीं पर भेजें झाला है जिसके दर्शन तेरे पापा को जड़ से उखाड़ा है आठ भुजाओं वाले शिवजी यहां भैरव संघ विराज रहे 30 वाली मां दुर्गा मुकुंद शो लेकर साथ जरूर शेयर नारायण शीला काली मंदिर को प्रेम प्रणाम करें नीलधारा से सिंचित नीलेश्वर शिवचरण ब्रिटिश धरे चंडी देवी के मंदिर में ममता के भ्र बह तेरे यहां दर्शन को आए रात में कोई नहीं रहे यही पिछले मन में हो यही पिछली मन में शेर हाथी का निवास बताते हैं बड़े भाग्यशाली हैहु इस धरती पर आते हैं हरिद्वार के पावन धरती हर जी वर्कर मंगल धरती अवनति लपेटे पूंडरी पध्दत तक रात्रि वास हे बिन को सफल लंबे-लंबे डग तब तक गंगे-गंगे जय शक्रवार तेज शतक परिणाम दीवान पितृजन अधिक उन्हें लो ख्याल महीने अतिथि भक्तजनों कहते हैं अ कि यह ऐसा पावन तीर्थ है हरिद्वार जहां एक रास्ते मांस करने से सहस्र गौदान का फलमिलता है सब तिरंगा तिरंगा और टकरावत तीर्थ में विधिपूर्वक देवर्षि पितृतर्पण करने वाला पुण्यलोक में प्रतिष्ठित होता है आइए चंडी मंदिर के समीप अंजनी माता मंदिर का दर्शन करते हैं है अंजनी माता का मंदिर चंडी मंदिर के पास खड़ा गौरी शंकर महादेव और बेल घबन है प्रसिद्ध झाली बिल व नाम के पर्वत पर बिल्वकेश्वर शिव का मंदिर है यहां पर शिव की दो प्रतिमाएं एक बाहर एक अंदर है खोज मंदिर के समीप ही एक शिव नाम की धारा बहती है शिव धारा दर्शन करने वालों का हर दुख हरते है कि गाड़ियों के दाम कुछ भी प्रेमसे विनम्र प्रणाम करें-गौरीशंकर उनके जीवन का शुभ हर प्रणाम करे घुमा शंभू को प्रेम से हम भोग हो अजय कुमार शंभू को प्रेम से हम भी सादर शिश झुकाते हैं बड़े भाग्यशाली है वे जो इस धरती पर आते हैं हैं घर पर आते हरिद्वार की पावन धरती हर जी वर्कर मंगल धरती बिन फतेह खन खेलें स्नात्वा रात्रों पोषित उगल रहा अश्वमेध अमवा अपनों ति स्वर्गलोक कम जगत भक्तजनों कनखल में स्नान करके तीन रात जो भी भक्त उपवास करते हैंवह अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त कॉल करने के अधिकारी के समान होते हैं और स्वर्ग के अधिकारी बन जाते हैं स्वर्गगामी हो जाते प्रेमीजनों सतीकुंड बड़े दूसरी जगह सतीकुंड वह स्थान है जहां पर सख्ती ने अपने शरीर का त्याग कर दिया था ईपी कल के साथ-साथ सतीकुंड का बखान करते हैं और कुछ और तीर्थों हरिद्वार में विराजे कुछ और महत्वपूर्ण स्थानों का वर्णन करते हैं ध्यान से सुनिए है आ सकती कुंडी है वहीं जहां पर सख्ती ने तन को त्याग दिया दक्ष प्रजापति ने भी यहीं पर एक समय तप गठन किया दक्षेश्वर महादेव का मंदिर यही दक्षिण कमान मथा प्योर घीस्वर शिवशंकर ने यही स्थिति मोहक खेल रचा [संगीत] हॉट भीम सैनिक की तपस्थली जो भीम घोड़ा है कुंडू विशाल पास उसी के ब्रह्मा जी का मंदिर सब को करें निहाल 24 अवतार मंदिर की महिमा गरिमा अगस्त अपार एक साथ है मूर्तिमान यह श्री हरि के 24 अवतार नाम रूप में श्री आर0 हो का नाम रूप में श्री हरी यहां पर दर्द दिखाते हैं बड़े भाग्यशाली है वे जो इस धरती पर आते हैं हरिद्वार के पावन धरती हर जी वर्कर मंगल धरती हरविंद्र भक्तजनोंहै तब तक धारावाहिक स्थान है कि भीमगोड़ा से एक मील आगे सब्सक्राइब तहें यह तपो भूमि है यहां पर सप्तर्षियों ने तप किया था और उन्हीं के लिए गंगा जी को साथ भावनाओं में बहना पड़ा था थान निर्जन है पर बड़ा ही रमणीय है 370 धारा से थोड़ी दूर सत्यनारायण भगवान का मंदिर है जो ऋषिकेश के रास्ते में पड़ता है यहां भी दर्शन स्थान का बड़ा महत्व है प्रेमीजनों वीरभद्रेश्वर ऋषिकेश मार्ग पर स्थित है कि हरिद्वार में वैसे तो हजारों मंदिर हैं अ यहां पर बिल्वकेश्वर महादेव गीता भवन हरकी पैडी सप्तर्षि आश्रम जिसके नाम से हीसप्तसरोवर मार्ग है और दूसरी बेंच वक्त्रेश्वर मंदिर श्री खेतेश्वर मंदिर कनखल में ओम श्री भरत मंदिर ऋषिकेश में गीता भवन स्वर्गाश्रम परमार्थ निकेतन लक्ष्मण झूला राम झूला है है और भूपतवाला एक ऐसा स्थान है हरिद्वार का जिस मार्ग पर तुलसी मानस मंदिर गीता भवन कि ऐसे दिव्य दिव्य मंदिर हैं जहां हजारों लाखों भक्त दर्शन के लिए उमड़ पड़े हैं सभी अखाड़ों के आश्रम हैं हरिद्वार की पावन भूमि पर पंच दशनामी अखाड़े जूना अखाड़ा अ है निर्मोही अखाड़ा निर्वाणी अखाड़ा अग्नि अखाड़ा आवाहन अखाड़ा सभी तेरह अखाड़ों का दिव्य आश्रम और स्थान है हरिद्वार की पावनधरती पर निरंजनी अखाड़े से लेकर सभी अखाड़ों को प्रणाम करते हुए आइए सबसे धारा में सप्तर्षियों को प्रणाम करते हैं को सबसे धारा में सप्तर्षियों ने एक समय तप खूब किया गंगा जी ने यही स्वयं को सात धाराओं में बांट दिया भव्य वीरभद्रेश्वर मंदिर सब को अभय दान देता मंदिर में पूजन वंदन से अक्षय फल महान देता खून को हो सत्यनारायण मंदिर का दर्शन शुभ फल देने वाला जीवन की हर बांधा विपदा पल में हर लेने वाला हरिद्वार में पग-पग पर है तीर्थस्थान उसे देवभूमि के कण-कण में साक्षात यहां भगवान उसे जिनके भाग्य जगहमें ही हुई हो हैं जिनके भाग्य जगह में ही इस पावन धरा पर आते हैं बड़े भाग्यशाली है ने जो इस धरती पर आते हैं हैं कि हरिद्वार की पावन धरती हर जी वर्कर मंगल धरती अवनति अरविंद [संगीत] प्रेमीजनों उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है कि मैं तो कहूंगा कि धरती पर स्वर्ग है उत्तराखंड की देवभूमि है कि भूमि के पहले देव हमने इसलिए लगाया कि उत्तराखंड की भूमि है जहां से मां गंगा का उद्गम हुआ मां यमुना का उद्गम स्थान है बारहों ज्योतिर्लिंगों में भगवान केदारनाथका वास है भगवान बद्रीनाथ का वास है यहीं पर पंच प्रयाग है जिन्हें हम कर्णप्रयाग देव प्रयाग नंद प्रयाग रूद्र प्रयाग और देव प्रयाग के नाम से जानते हैं ऐसे पावन पवित्र भूमि को हम बारंबार नमन करते हैं भक्तजनों शास्त्रों में कहा गया है अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवंतिका पुरी द्वारावती मई यह सब 12th मोक्ष प्रदान इक्का अयोध्या मथुरा माया माया अर्थात हरिद्वार काशी कांतिपुर अवंतिका अवंतिका यानि उज्जैन द्वारिकापुर यह 7 मोंठ सदा में पुरियां है मैं हरिद्वार भी साथ मोक्षदायिनी पुरियोंमें एक है ताकत भगवान हरि का श्रीहरि का नारायण का द्वार है हरिद्वार ऐसी पावन पवित्र भूमि में विराजे समस्त तीर्थों को मैं नमन करता हूं वंदन करता हूं कि ऐसे पावन पवित्र तीर्थ में विराजे सभी संत महंतों को सभी अखाड़ा को सभी संप्रदाय के साधु संतों को मैं नमन वंदन करता हूं आइए गायन के माध्यम से हरिद्वार महिमा का एक और प्रदूषण कीजिए यह हरिद्वार हरिद्वार गंगा द्वार कहा जाता है हर और हरिद्वार कुशावर्त का एक समान खन आता है मायापुर हरिद्वार कनखल ज्वालापुर वह भीम घोड़ा हरिद्वार पूरा हुआ जब इन पांचों खिलाड़ियों को जोड़ा को हरिश्चंद्र हो मेषराशि में और वृहस्पति कुंभ में आए तब प्रत्यय कि अगर हुए वर्ष में महाकुंभ का योग बनाए ऐसे पावन महातीर्थ में महाकुंभ का शुभ संयोग काटे जन्म जन्म का बंधन दूर करे सारे भंवरों बड़े भाग्यशाली होते हैं हो बड़े भाग्यशाली होते हैं मे जो कुंभ नहाते हैं बड़े भाग्यशाली है ने जो इस धरती पर आते हैं आरती हरिद्वार की पावन धरती हर जी वर्कर मंगल करती थी अरविंद को कि गंगे तव दर्शनात मुक्ति हुई है में भक्तजनोंमें मां गंगा के दर्शन मात्र से ही मुक्ति है पतित पावनी मां गंगा को प्रणाम करते हुए हरिद्वार के इस महाकुंभ के पावन अवसर पर देवभूमि में पधार रहे देश-विदेश से अ आप सभी श्रद्धालुओं का मैं भजन गायक प्रेम प्रकाश दुबे हार्दिक हार्दिक स्वागत अभिनंदन और उन्हें नमन करता हूं हरिद्वार में विराजे समस्त देवी-देवताओं को नमन करता हूं मां गंगा का यह भगवान विष्णु भगवान ब्रह्माजी और साक्षात भगवान नीलकंठ की पावन धरती के भगवान भोलेनाथ की पावन धरती को शत-शत नमन करते हैं हरिद्वार का यह महाकुंभ का संसार के लिए फलदाई हो संसार को संकट से मुक्त करेंकि सभी सुखी हूं किसी को किसी प्रकार का कोई रोग ना हो कि भारत सरकार को उत्तराखंड सरकार को बहुत-बहुत बधाई कुंभ के सफल आयोजन के लिए एक बार पुन हल सभी संत महंतों को सभी श्रद्धालुओं को सादर प्रणाम जय सियाराम महाकुंभ हरिद्वार आप सभी के लिए शुभ हो मंगल हो और कल्याणकारी हो नित
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